त्रंबकेश्वर शहर में कुछ प्रमुख पूजाएं जैसे नारायणबलि – नागबली, त्रिपिंडी श्राद्ध, कालसर्प निवारण आदि सफलतापूर्वक की जाती हैं इस शहर के वास्तु को ध्यानपूर्वक देखें तो यह कुदरती रूप से कुछ इस प्रकार है कि वास्तु शास्त्र के सभी बड़े और प्रमुख नियमों का पालन करता है। नासिक से त्रंबकेश्वर शहर की ओर आने वाले मुख्य सड़क मार्ग के अनुसार यह एक पूर्व मुखी शहर है ईशान पूर्व का मुख्य प्रवेश द्वार एक श्रेष्ठ वास्तु स्थिति है । शहर के ईशान में एक मानव निर्मित जल कुंड प्रयाग तीर्थ के नाम से है ईशान कोण में जल तत्व का होना समृद्धि दायक बताया गया है शहर के दक्षिण,पश्चिम, दक्षिण- पश्चिमी नैरत्य में बडे एवं भारी पहाड़ शहर सीमा से लगे हुए हैं जो एक सकारात्मक वास्तु स्थित है वहीं उत्तर दिशा में भी पहाड़ है परंतु यह शहर सीमा से कई किलोमीटर की दूरी पर है अतः इनका नकारात्मक प्रभाव शहर पर नहीं है शहर के मध्य पश्चिम में कुछ अन्य जल कुंड जैसे गंगासागर लेक, अहिल्या तालाब, गोदावरी कुंड जिसे कुशावर तीर्थ भी कहते हैं, गोदावरी उद्गम स्थल गौतम तालाब आदि हैं मध्य पश्चिम में जल तत्व का होना एक शुभ स्थिति है गोदावरी नदी पश्चिम से पूर्व ईशान की ओर बह रही है अर्थात संपूर्ण शहर का ढलान ईशान कोण की ओर है जो वास्तु शास्त्र के अनुसार एक अत्यधिक शुभ स्थिति है उक्त सब स्थितियां इस शहर को अपने आप में अनूठा बनाती है एवं अलग पहचान देती हैं साथ ही यहां 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग भी है जो अत्यधिक सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है ।