वास्तु शास्त्र जीवन को बदलने की एक अद्भुत क्षमता रखता है क्योंकि यह एक जीवंत विज्ञान है ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब किसी भी मनुष्य का जन्म होता है तो उसके लग्न कुंडली में जो गृह जैसे बैठे हैं जहां बैठे हैं उसे कभी बदला नहीं जा सकता और उनके फलों को भी कभी बदला नहीं जा सकता यदि कोई गृह खराब स्थिति जैसे नीच का है या वक्री है तो उसी अनुसार नकारात्मक फल या परिणाम देगा परंतु वास्तु शास्त्र एक ऐसा जीवंत एवं शक्तिशाली विज्ञान है जिसमें आप गलत निर्माण अर्थात वास्तु दोष को को सुधार कर जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं । ऐसे सैकड़ो हजारों उदाहरण हमारे पास हैं और आप भी अपने आसपास यह उदाहरण देख सकते हैं जहाँ लोगों ने वास्तु दोष को सुधार कर अपने और अपने परीवार के जीवन मे पॉजिटिव परिवर्तन लाये हैं, जैसे बिहार राज्य को ही हम देख सकते हैं जब झारखंड अलग नहीं हुआ था तब वहां अराजकता का माहौल था क्राइम अर्थात अपराधों का अनुपात बहुत ज्यादा था। यदि उस समय के बिहार को हम वास्तु के नजरिये से देखें तो संपूर्ण बिहार का अग्नि को कटा हुआ था साथ ही मध्य दक्षिण का हिस्सा बढ़ा हुआ था जिसके कारण अराजकता का माहौल था क्राइम रेट ज्यादा था परंतु जैसे ही नवंबर 2000 में झारखंड राज्य बिहार से अलग हुआ तो दोनों की वास्तु की परीसीमाएं अलग-अलग हो गई और उसके पश्चात वर्तमान बिहार की चतुर्सीमा वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार तुलनात्मक रूप मे काफी हद तक बेहतर हो गयी जिसके चलते वहां पर अराजकता, क्राइम का माहौल कम हो गया है ऐसे कई उदाहरण हैं । वास्तु शास्त्र केवल दिशाओं पर आधारित विज्ञान ही नहीं है किसी प्रकार की वास्तु (जैसे- प्लाट,मकान, फैक्ट्री, ऑफिस आदि) में पांच तत्व पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु, एवं आकाश विद्यमान होते हैं एवं इन पांच तत्वों का अनुपात भी निश्चित होता है परंतु जब इन पांच तत्वों का बैलेंस या अनुपात बिगड़ जाता है तब दोष पैदा होते हैं एवं दोष अनुसार परेशानियां जीवन में आती है प्रत्येक वास्तु में पांच तत्वों के अलावा गृह भी विद्यमान होते हैं और उनका प्रभाव भी उस अमुक गृह की प्रकृति और गुणधर्म अनुसार हम पर पड़ता है जिनकी स्थिति निम्नवत दिखाई गई है ।
वस्तुविद् गौरव गुप्ता
संस्थापक: वास्तु दुनिया ग्रुप
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